मामला है प्रधान आरक्षी सरोज सिंह व पीड़ित पति समीर धुर्वे का
बैढ़न/सिंगरौली। दिनांक 2 अप्रैल 2025 को पुलिस कैंपस के अंदर घटी एक घटना जिसमें पति समीर धुर्वे को पत्नी सरोज सिंह के सामने घर में घुसकर पीटा गया इसके बाद पत्नी बच्ची को लेकर फरार थी फरार शब्द इसलिए इस्तेमाल किया जा रहा है क्योंकि पति से कोई संपर्क नहीं हो पा रहा था या तो मोबाइल स्विच ऑफ बता रहा था या मोबाइल पर रिंग जा रहा था और उठ नहीं रहा था पति आश्चर्य चकित था की एक अजनबी नाम शिव कुमार घर में घुसकर जो की पुलिस कैंपस के अंदर पुलिस विभाग द्वारा दिया गया आवास है में पीटा गया समीर धुर्वे की पत्नी सरोज सिंह जो वही खड़ी होकर तमाशा देखती रही और उस दिन से पति को ना दिखाई दी ना पति से बात की जब यह मामला पत्रकारों के बीच आया तो इस घटना को कई समाचार पत्रों ने छापा जिसका परिणाम यह हुआ कि नॉट रीचेबल मोबाइल फोन द्वारा पत्नी ने एक पत्रकार को धमकी देते हुए कहा की फर्जी समाचार कहां से चला रहे हो मानहानि व महिला होते हुए मैं कई तरह के मुकदमे दर्ज करा सकती हूं उनके लहजे में पुलिसिया रवैया प्रधान आरक्षी का गुमान था उस पर पत्रकार ने बताया कि आपके पति द्वारा थाने में दिए गए प्रार्थना पत्र के हवाले से समाचार बनाया गया है साथ ही पत्नी पति समीर धुर्वे का बयान लिया गया और आप एक पत्रकार को धमका कर मुकदमा दर्ज करना चाहती हैं अपने पद और प्रतिष्ठा का गलत उपयोग तो पहले ही अपने पति के परिपेक्ष में कर चुकी हैं और मुझ पर भी करना चाहती हैं बहरहाल आरक्षी सरोज सिंह ने धमकाते हुए पत्रकार का फोन रख दिया। मामला यह है कि क्या पत्रकार सच्चाई की आवाज नहीं उठाएगा तो कौन उठाएगा ।पत्रकार समाज का वह आइना है जो समाज में व्याप्त अच्छाइयां और बुराइयां दोनों प्रदर्शित करता है पत्रकार राष्ट्र का चौथा स्तंभ होता है और अपने दायित्व को बखूबी समझता है वह ऐसे ही किसी की बेइज्जती नहीं करता ।हालांकि अपनी हो रही किरकिरी से बौखलाई प्रधान आरक्षित सरोज सिंह जो अपने दांपत्य जीवन को संभाल नहीं पा रही है वह अपने कर्तव्यों से विमुख होकर पति को पिटता हुआ देखती रही और तब से पति से संपर्क नहीं बना रही है ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि यह बच्ची को साथ रख कर पति से दूर जाकर पति पर समझौते के लिए दबाव बनाना चाहती हैं मामला जो भी हो किंतु एक सभ्य समाज में महिला द्वारा अपने पति को सामने मार खाता देखकर घर छोड़कर फरार हो जाना सही नहीं समझा जाता देखना यह है कि क्या समीर धुर्वे जो की एक पति का फर्ज निभाते हुए एक अच्छे पिता का भी फर्ज निभा रहा था क्या पत्नी सरोज सिंह को अपनी गलतियों का एहसास होगा क्या फिर से उनका दांपत्य जीवन सही होगा और क्या आरक्षी समीर धुर्वे जो कि दलित समाज से आते हैं को न्याय मिल पाएगा यह सभी प्रश्नों के उत्तर कोतवाली बैढ़न दे सकता है क्योंकि यह पुलिस महकमें के प्रतिष्ठा का भी सवाल है जब कि आरक्षी को पुलिस कैंपस के अंदर उसके सरकारी आवास पर उसे मारा जाता है शेष खबरे के ताजा अपडेट के साथ फिर मिलेंगे और समीर धुर्वे को न्याय कब मिलता है क्योंकि आज भी वह कोतवाली के चक्कर लगा रहा है और कब तक लगता लगाना पड़ेगा देखना दिलचस्प होगा।